नई दिल्ली, रोहित पोद्दार। बढ़ती शहरी आबादी के साथ आवास की कीमतें बढ़ रही हैं। डेवलपर्स और आर्किटेक्ट चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं, आने वाली चुनौतियों का समाधान प्रदान करने के नए तरीके ढूंढ रहे हैं एवं निवेश कर रहे हैं। किफायती आवास के विकास और प्रबंधन से कम आय वाले परिवारों के लिए घर खरीदना संभव हो सकता है। कोविड-19 के प्रभाव को देखते हुए, आने वाले वर्षों में कुछ किफायती आवास ट्रेंड्स पर नजर डालते है:
स्पेस के लिए बढ़ती मांग
कोविड-19 महामारी के कारण लोग रहने योग्य अधिक स्पेस की तलाश कर रहे हैं। उपनगरीय क्षेत्रों में रेडी टू मूव इन किफायती इकाइयों में मूव होने के लिए निवासियों की मांग में भारी वृद्धि हुई है जिससे उन्हें उनकी संपत्ति से जुड़ी अधिक इनडोर और बाहरी जगह मिल सके और कई लोग ऐसी जगहों की तलाश कर रहे हैं जो उन्होनें देखी न हो। चूंकि घरों के अंदर ही अधिक से अधिक चीजें हो रही हैं, घरों में अब रहने, मनोरंजन, करियर/नौकरी के काम, वर्कआउट, स्कूल और बहुत कुछ के लिए जगह होनी चाहिए।
स्वास्थ्य और कल्याण
महामारी के हंगामे के साथ, देखने वाली बात यह है कि परिवेश आपके स्वास्थ्य और कल्याण को कैसे प्रभावित करता है। किसी के समग्र स्वास्थ्य में सुधार करने के तरीकों की योजना बनाना और निर्माण करना ये कुछ ऐसी चीजें होंगी जिसकी ओर अंतिम उपयोगकर्ता आकर्षित होंगे।
शहरी आबादी का उपनगरों की ओर पलायन
महामारी के पहले से ही वर्क फ्रॉम होम को प्राथमिकता मिल रही थी। भीड़-भाड़ वाले शहरों के साथ, उपनगरीय क्षेत्र और एमएमआर क्षेत्र उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली जगह के लिए काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। इसके अतिरिक्त, मिलेनियल्स सिंगल फैमिली इकाइयों को खरीदने की इच्छा रखते हैं, जो रियल एस्टेट बाजार में एक उभरता हुआ चलन बन जाएगा।
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